( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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पूर्व शालेय अवस्था में पोषण की महत्ता

    1 Author(s):  DR. ARCHANA KUMARI

Vol -  11, Issue- 1 ,         Page(s) : 517 - 522  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

बच्चों की 03 से 05 वर्ष तक की आयु पूर्व शालेय अवस्था होती है। इस अवस्था को टोली अवस्था भी कहा जा सकता है। वाटसन नाम वैज्ञानिक के मतानुसार ‘‘कोई भी बालक भावी जीवन में आगे चलकर क्या बनेगा अथवा कैसे व्यक्तित्व वाला बनेगा यह उसकी बाल्यावस्था की स्थिति पर निर्भर करता है।’’ इस आयु मे बालक तेज गति से सीखता है अतः इसे जीवन की शिक्षणावस्था (च्मतपवक वि स्मंतदपदह) भी कहा जाता है। इस अवस्था मे बालक वातावरण को नियंत्रित करना सीखता है। वह सामाजिक समायोजन करना भी सीखना प्रारंभ कर देता है ।

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