Abstract
रस, भाव, अभिनय, धर्मी, वृत्ति, प्रवृत्ति, सिद्धि, स्वर, आतोद्य, गान तथा रंग यह इस
नाट्य के अंतगर्त आने वाले तत्वों का संग्रह है।1 नन्दा देवी के जागरों में स्वर, आतोद्य, गान, रंग, के साथ रसों का भी विधान है,
नाट्य शास्त्र के छठै अध्याय के श्लोक तीन के अनुसार श्रृंगार, हास्य, करूण, रोद्र, वीर,
भयानक, वीभत्स और अद्भुत ये आठ रस नन्दा देवी के जागरों में कही छाया रूप में और
कहीं प्रकट रूप में पाये जाते हैं।