समकालीन कहानियों में चित्रित निःशक्त नारी चेतना
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Author(s):
KAVITA YADAV
Vol - 8, Issue- 9 ,
Page(s) : 117 - 122
(2017 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
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Abstract
कथा शब्द ‘कथ्य’ से बना है जिसका अर्थ हैं ‘कहना’ यह वह कहानी हंै जिसे बुजुर्ग लोग अपनी आने वाली पीढ़ी को सुनाते हैं। हर कहानी अतीत को व्यक्त करती हैं भविष्य को कुछ देना चाहती हंै।प्राचीनकाल में कहानी मौखिक रूप से कही जाती थी परन्तु धीरे-धीरे उसने लिपी का रूप ले लिया। हिन्दी कथा साहित्य ने अपनी जीवन यात्रा में धरातल के विविध यथार्थ को तय किया हैं। वैदिक साहित्य से लेकर समकालीन साहित्य में भी कथा-कहानियों का प्रसार हम देख रहे हैं। समकालीन हिन्दी कहानियों के लिए वर्तमान युग महत्त्वपूर्ण रहा हैं। उस युग में घटित होने वाली घटनाओं एवं जन्म लेने वाली परिस्थितियों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहानीकार को उद्वेलित किया हंै।
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