लोककथा का लोक जीवन में प्रभाव
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Author(s):
DR. SHUBHA TIWARI
Vol - 15, Issue- 3 ,
Page(s) : 491 - 495
(2024 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
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Abstract
सृष्टि में मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जिसे वाणी और विवेक का वरदान मिला है। उसने अपने विवेक के जरिये संकेत बोली और भाषा का अविष्कार किया तो मनुष्य अनेक कथाएँ गूँथने लगा। जिसमें जीवन की तलाश की अभिव्यक्ति थी
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