कुड़मालि काव्य में अलंकारों का प्रयोग
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Author(s):
DR. SHAILESH KUMAR MAHTO
Vol - 15, Issue- 4 ,
Page(s) : 123 - 126
(2024 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
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Abstract
मानव समाज सौंदर्योपासक है उसकी इस प्रवृत्ति ने ही अलंकारों को जन्म दिया है। शरीर की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए जिस प्रकार मनुष्य ने भिन्न-भिन्न प्रकार के आभूषणों का प्रयोग किया, उसी प्रकार उसने भाषा को सुन्दर बनाने के लिए अलंकारों की रचना की ।
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