International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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विद्यापति के काव्य में प्रेम एवं श्रृंगार सन्दर्भ
1 Author(s): BISHNUDEO PASWAN
Vol - 11, Issue- 1 , Page(s) : 486 - 489 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
विद्यापति की काव्य सन्दर्भ उनके युग के सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेष में निहित थी। तत्कालीन सामन्ती समाज का जीवन या तो युद्धक्षेत्र में व्यतीत होता था या रमणी-रमण में। ‘बहुबल्लभ पंत‘ एवं सोरह सहस गोपीपति कान्ह‘ के समाज में स्त्री की सामाजिक और परिवारिक स्थिति भोग्या की थी। ऐसे सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेष में वीर रस और प्रेम के लिए उर्वरा जमीन उपलब्ध थी। कृष्णलीला श्रीमद्भागवत के अतिरिक्त एक और परम्परा का प्रचलन समाज में था। जयदेव और विद्यापति ने इसी परम्परा का अनुसरण किया। विद्यापति ने जयदेव से राधा-कृष्ण के सौन्दर्य और प्रेम के चित्रण की एक मान्य शैली ग्रहण की।