International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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राष्ट्रवाद, राजनीति और दिनकर
1 Author(s): DR. UMASHANKER
Vol - 10, Issue- 6 , Page(s) : 465 - 472 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
दिनकर जी का काव्य रचना क्षेत्र बहुआयामी है। लेकिन राष्ट्रीय सांस्कृतिक कविता ही उनकी असली पहचान है। उन्होंने जब लिखना शुरू किया, देश अंग्रेजों का गुलाम था। आजादी के बाद भी बहुत सालों तक कवि लिखते रहें। युगों से शोषित भारतीय जनता को विज्ञान से प्राप्त साधनों से युक्त ब्रिटिश साम्राजयवादी ताकत के साथ संघष्र के लिए प्रेरित करना जिम्मेदारी भरा कार्य था। ज्यादातर भारतीय, अंग्रेजों की श्रेष्ठता को स्वीकार कर चुके थे। राष्ट्रीय चेना के कवियों ने जनता की छुपी हुई असीम शक्ति को जगाने का काम किया। दिनकर जी ने अतीत के गौरव गान से लोंगों में आत्मसम्मान का भाव जगाया तथा शोषकों के विरूद्ध क्रांति का आहृन किया।