International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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अमरकान्त के उपन्यासों में नारी
1 Author(s): DHARM CHAND
Vol - 11, Issue- 2 , Page(s) : 201 - 205 (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
मानव समाज का आधा अंग नारी वर्ग मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही दलित रहा है। पुरुष ने नारी को सदैव ही पशुओं की तरह अपने वश में रखने का प्रयत्न किया है और परिवार में उसे दासी से अधिक कभी नहीं समझा। संस्कृत भाषा में नारी के लिए ‘कलत्रं’ शब्द यह सूचित करता है कि जिस प्रकार से घर के सामान ‘वस्तु’ शब्द के द्वारा व्यक्त किए जाते थे, वैसे ही नारी घर की वस्तु थी। ‘कलत्रं’ शब्द नपुंसक लिंग में है और नारी का पर्यायवाची नपुंसक लिंग ‘कलत्रं’ शब्द यही संकेत करता है कि नारी परिवार की वस्तु मात्र है।