( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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आचार्य विनोबा भावे जी के दर्शन में शैक्षिक तत्वों की विवेचना

    2 Author(s):  MANOJ KUMAR PAL,DR. AJAY KUMAR SHARMA

Vol -  10, Issue- 5 ,         Page(s) : 428 - 438  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

सम्पूर्ण शोध प्रक्रिया एवं शोध ग्रन्थ पर एक गहन दृष्टिपात करने के उपरान्त शोधार्थी की यह धारणा है कि भारतीय शिक्षा जगत में पूजनीय आचार्य विनोबा भावे जी शिक्षा के आधार स्तम्भ के रूप में खड़े हैं। भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिकतम परिवर्तन लाने की सोच इनके मस्तिष्क में हमेशा बनी रही। इसलिये इन्होंने भारतीय शिक्षा के प्रत्येक पहलू पर ध्यान केन्द्रित करके सुधार हेतु अपने विचार प्रकट किये। आचार्य विनोबा भावे जी केवल नाम के सन्त नहीं थे अपितु उन्होंने तत्कालीन भारतीय शिक्षा को उपयोगी बनाने पर बल दिया है। उनकी धारणा थी कि जब तक बालक में सामाजिकता एवं त्याग की भावना का विकास नहीं होगा तब तक वे समाज के विकास में अपना सक्रिय योगदान नहीं दे सकेगें। लोगों में त्याग की भावना के विकास के लिये इन्होंने सम्पूर्ण भारत में भूदान आन्दोलन चलाया और निर्धन भूमिहीनों को भूमि दिलवाई। आचार्य विनोबा भावे जी ने शिक्षा के सभी क्षेत्रों को अपने ज्ञान के प्रकाश से आलोकित किया है।

बैरागी, वीणा (2015), ‘‘हृदय जोडने वाला‘‘, वाराणसी, सर्व सेवा संघ, प्रकाशन, वाराणसी।
मीरा भट्ट (2015) ‘‘ विनोबा के जीवन प्रसंग‘‘, वाराणसी, सर्व संघ, प्रकाशन, राजघाट।
पचैरी, गिरिश (2015) ‘‘ भारतीय शिक्षा शास्त्री, मेरठः आर०लाल० बुक डिपो प्रकाशन।
भावे विनोबा (2014) ‘‘ राम नामः एक चिन्तन‘‘, वाराणसी, सर्व संघ, प्रकाशन।
भावे विनोबा (2013) ‘‘ खादी हमारा बागवत का झण्डा‘‘, वाराणसी, सर्व संघ, प्रकाशन।
देसाई, महादेव, (2008) - विनोबा के विचार, सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन।
आचर्या विनोबा भावे (2006) - नैगी, भरत, प्रकाशक राजा पाॅकेट बुक्स, दिल्ली द्वितीय मुद्रणः। 
भाई योगेन्द्रजीत सिंह, (1974) - महान शिक्षा शास्त्री - विनोद पुस्तक मन्दिर आगरा, तृतीय संस्करण। 
वर्मा वैद्यनाथ प्रसाद, (1972) - विश्व के महान शिक्षा शास्त्री - बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी सम्मेलन भवन पटना-3 प्रथम संस्करण।

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