( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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रामचरितमानस में निहित शिक्षा के लक्ष्य

    1 Author(s):  AJAY KUMAR SHARMA

Vol -  10, Issue- 5 ,         Page(s) : 413 - 420  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

शिक्षा समाज का एक ऐसा धारदार अस्त्र है ज¨ समाज सुन्दर, आकर्षक अ©र गुणवत्तपूर्ण आकार में ढाल देती है। इसी लिये आदि काल से ही शिक्षा का महत्व बढ़ता ही गया है। वर्तमान शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा का मुख्य लक्ष्य है सुयोग्य नागरिक तैयार करना जिससे राष्ट्र व विश्व का भला हो सके इसके लिए विविध शैक्षिक लक्ष्यों को यूनेस्को तथा एन. सी. ई. आर. टी ने मूल्य के रूप में भी स्वीकार किया है। इस श¨ध समस्या में निम्नलिखित शब्दावली का प्रय¨ग किया गया है- रामचरितमानस, शिक्षा, लक्ष्य। रामचरितमानस में व्यापक रूप में शिक्षा के लक्ष्य¨ं का मार्गदर्शन प्राप्त ह¨ता है।

1- प¨द्दार हनुमानप्रसाद रामचरितमानस संस्करण-141 संवत 2055, प्रकाशन गीता प्रेस ग¨रखपुर(उ0प्र0)
2- मिश्र जयराम: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जीवन और दर्शन, प्रकाशन- लोकभारती प्रकाशन-इलाहाबाद 1, तृतीय संस्करण-2010
3- त्रिपाठी विश्वनाथ, लोकवादी तुलसी, प्रकाशन राधाकृष्ण प्रकाशन-नई दिल्ली, संस्करण-पहली आवृत्ति- 2009
4- गोस्वामी तुलसीदास का सामाजिक आदर्श, सुधारानी शुक्ला, लखनऊ विश्वविद्यालय प्रकाशन, लखनऊ
5- गुप्त रमाशंकर ‘ सूक्ति सागर, प्रकाशन: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, संस्करण-पंचम-2008
6- आचार्य शर्मा, पं. श्रीराम, रामायण की प्रगतिशील प्रेरणाएँ, प्रकाश- अखण्ड ज्योति संस्थान, मथुरा, द्वितीय संस्करण-1998 
7- मानस अनुसन्धान, महावीर प्रसाद श्रीवास्तव, विश्वविद्यालय हिन्दी प्रकाशन, लखनऊ, 1970
8- मानस रहस्य, जयराम दास, गीता प्रेस गोरखपुर, सं. 2026

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