( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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महात्मा गाँधी के दर्शन में शैक्षिक तत्व की विवेचना

    2 Author(s):  VINOD KUMAR SHARMA ,DR. AJAY KUMAR SHARMA

Vol -  10, Issue- 5 ,         Page(s) : 403 - 412  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

शिक्षा के नियोजन से नीतियों एवं नवीन परिस्थितियों का विनिर्माण होता है। भारतवर्ष के शैक्षिक इतिहास के अनुशीलन से यह साफ होता है कि प्राचीन भारतीय शिक्षा पूरी तरह भारतीय दर्शन एवं धर्म पर आधारित थी। देव स्थान शिक्षा के प्रधान केन्द्र थे। समाज के धर्माचार्य शिक्षण का कार्य करते थे और इसके अतिरिक्त प्रत्येक शिक्षक अपने-अपने मठों या आश्रमों में शिक्षा देने का काम करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में अध्यात्मक और धर्म के साथ-साथ जीवन की व्यवहारिकता के विभिन्न पहलुओं का अनमोल मिश्रण था और अध्यात्मिक विषयों तथा लौकिक विषयों में पाठ्यचर्या पूरी तरह विभिक्त थी।

डाला जैनब प्रिया ‘‘वाट गाँधी डिड नाट शीः बोईग इण्डियन एंड साऊथ अफ्रीका‘‘ स्पीकिगं टाईगर पब्लिशिंग प्रा०लि० (10 सितम्बर-2018)।
स्पैक्ट्रम्स - ‘‘गाँधी, नेहरू, टैगोर तथा आधुनिक भारत के व्यक्तित्व‘‘ जनकपुरी नई दिल्ली (1 जनवरी -2018)
पाण्डेय, रामशकल - ‘‘विश्व के श्रेष्ठ शिक्षा-शास्त्री‘‘, आगरा, विनोद पुस्तक मन्दिर - (2010)
माथुर, एस०एस० ‘‘शिक्षा के दार्शनिक तथा सामाजिक आधार‘‘, आगरा-2 अग्रवाल पब्लिकेशन - (2010)
रूहेला, एस०पी० - ‘‘शिक्षा के दार्शनिक तथा समाज शास्त्रीय आधार‘‘, आगरा-2 अग्रवाल पब्लिकेशन्स - (2010)
गाँधीजी द्वारा प्रकाशित तीन पत्रों का प्रकाशन - 1- हरिजन बन्धु (गुजराती में), 2- हरिजन सेवक (हिन्दी में), 3- हरिजन (अंग्रेजी में)। इन तीन पत्रों में गाँधी जी देश के सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते थे।

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