( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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कबीर : ना हिन्दू ना मुसलमान

    1 Author(s):  DR. PURAN CHAND

Vol -  11, Issue- 9 ,         Page(s) : 445 - 448  (2020 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

हिंदी साहित्य में कबीर की कविता और कबीर का विचार अपनी एक अलग जगह रखते हैं। यही कारण है कि साहित्यालोचना की परंपरा जितनी ‘असहज’ और विचलित-सी कबीर के सामने दिखाई पड़ती रही है, उतनी संभवतरू किसी और कवि के सामने नहीं दिखलाई पड़ती। आचार्य रामचंद्र शुक्ल से लेकर डॉ. धर्मवीर तक अनेकों चिन्तक-आलोचकों ने कबीर को एक ‘व्याख्या’ देने की कोशिश जरूर की, लेकिन कबीर उस व्याख्या की देहरी में अंटे नहीं।

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