International Research journal of Management Sociology & Humanities
( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH
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नाट्याभिव्यंजक प्रतीकों के पूरेपन को अपने में समेटे ‘आधे अधूरे‘
1 Author(s): DR. KRISHNA LAL DHINGRA
Vol - 12, Issue- 2 , Page(s) : 267 - 271 (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
मोहन राकेश प्रणीत ‘आषाढ़ का एक दिन एवं ‘लहरों के राजहंस-दोनों नाटकों में कथ्य को प्रस्तुत करने के लिए ऐतिहासिक चरित्रों का सहारा लिया गया है, किन्तु ‘आधे अधूरे‘ के सभी पात्र वर्तमान जीवन से गृहीत हैं। समकालीन जीवन की विसंगतियों के सन्दर्भ में आधुनिक मानव की यातनापूर्ण नियति और अस्तित्व के संकट को ‘आधे अधूरे‘ में सर्जनात्मक अभिव्यक्ति मिली है।