( ISSN 2277 - 9809 (online) ISSN 2348 - 9359 (Print) ) New DOI : 10.32804/IRJMSH

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डॉ. श्यामसुंदर दुबे के नवगीतों का तुलनात्मक अध्ययन

    1 Author(s):  BABITA TIWARI

Vol -  13, Issue- 1 ,         Page(s) : 245 - 251  (2022 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH

Abstract

गीत विधा का पूर्ण परिष्कृत रूप ही नवगीत है और कविता का ताजापन ही नवगीत की मूल संवेदना । पारंपरिक गीत के समसामयिक ही नवगीत की अवधारणा बनने लगी थी । डॉ़ दुबे कहते हैं मध्यमवर्गीय जीवन में उत्पन्न हुई विविध समस्याओं को जीवंत रूप में चित्रित करना ही नवगीतकार का उद्देश्य है । यह जनजातीय जीवन की झांकी को भी निखारता है, आम जिंदगी की कठिनाईयों और तकलीफों को तरजीह देने वाले यायावर नवगीतकारों के पास जिंदगी को देखने, सोचने और सहने की अपार क्षमता है ।

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