राष्ट्र की उत्पत्ति एवं राष्ट्र-राज्य
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Author(s):
AKHILESH KUMAR GAUTAM
Vol - 8, Issue- 5 ,
Page(s) : 138 - 141
(2017 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMSH
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Abstract
जब भी हम राष्ट्र के अध्ययन और व्याख्या की बात करते हैं तो अक्सर इस द्वंद में फँस जाते हैं कि इसका अध्ययन और व्याख्या एक संस्था के रूप में करें , ऐतिहासिक रूप से निर्मित समूह के रूप में करें , एक अवधारणा के रूप में करें या फिर इसके आधुनिकतम रूप के संदर्भ में करें । चूंकि इस अवधारणा को लेकर विद्वानों में हमेशा से ही भिन्न मत करे हैं एवं मतों की भिन्नता भी बेहद अंतर लिए हुए है, इसलिए इसकी एक परिभाषा के अंतर्गत व्यख्या करना लगभग असंभव कार्य है । जहाँ एक ओर स्मिथ ( 1991) कहते हैं कि “ राष्ट्र के राजनीतिक-सांस्कृतिक समुदाय है जो अपनी संप्रभुता , एकता और इच्छाओं के विषय में पूर्ण रूप से जागरूक है “ ।
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